Monday, January 23, 2012

क्या चुल्हा नही जलाने से पुल बन जाएगा ?

ग्राम सालेकेरा में आज भी अधुरा पडा पुल
                जहा मौक़ा मिले चौका नहीं छक्का मार लो ........? शायद जशपुर जिले की रीत बन गयी है ये .....आपको बता दे की सालेकेरा गाओ में पुलिया निर्माण में हुए ४५ लाख रुपये के गबन की जांच व दोषियों पर कार्यवाही की मांग को लेकर ३१ जनवरी को धरना देने जा रहे है जिसमे लगभग ५००० ग्रामीण अपने घरो में चूल्हे नही जलाएंगे.
राशी आहरण के २ वर्ष बाद पुल की स्थिति  
       ग्रामीणों का आक्रोश जायज है निश्चित ही वे अपने को छला हुआ महसूस कर रहे है .....ऐसे में क्या उनके भावनाओ के साथ खेलना उचित है .....? ठीक है मामला गबन का है दोसियो पर अवस्य कार्यवाही होनी चाहिए ,,कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए.....? पर मांग की बात आती है तो विकाश की जगह विनाश की बात सामने आती है ....जो  निश्चित ही राजनीती से प्रेरित होती है ! ऐसा ही कुछ यहाँ भी देखने को मिल रहा है ..............?
      मामला जुडा हुआ है पर्यटन अध्यक्ष और पूर्व मंत्री के बीच का अब आप समझ ही गए होंगे की कौन सी राजनीती चल रही है.......ग्रामीण ये मांग क्यों नहीं कर रहे है की हमें पुल चाहिए .......पुल तत्काल बनाया जाए .......निर्माण कार्य शुरू हो .......तत्काल कार्यवाही हो ..............? पर क्या करे नेताओ को पहले आपसी दुश्मनी निभानी है .........बाद में ग्रामीणों का हित  देखना है ....माना की पुल भी बनेगा ....दोषियों पर कार्यवाही भी होगी ...पर मामला राजनितीक रंग ले चुका है और अब आगे की योजना खटाई में पड़ने वाली है ....वो कैसे ....? या तो फिर थाने में मामला दर्ज हो जाएगा...... मामला न्यायालय में चला जाएगा  और फैसला आने में वर्षो बीत जाएगा ......पुल वही का वही ....ग्रामीण जस के तस ..........
ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल
         ये कोई बनी बनाई बात नहीं है प्रामाणिक है जो आप भी देख सकते है जशपुर जिले में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है तो बगीचा इलाके में वो भी लगभग ५ साल पहले .....सैकड़ो पुल बह गए .........बिना बनाए पैसे निकाल लिए गए .................फर्जी तरीके से बने हुए सड़क को दुबारा दिखाकर पैसा गबन कर लिया गया .....बड़े बड़े डेम के कार्य आज भी अधूरे है ......नहर का काम शुरू ही नहीं हुआ ......... कईपर अपराध पंजीबद्ध हो गया ..जो आज तक लम्बित है .................? अप तो आप समझ ही गए होंगे की मंजरे आलम क्या होगा ......?
           ठीक है अगर समाज सेवा ही करनी है ....ग्रामीणों का हितैषी ही बनना है जिले का भला ही करना है तो काम निस्वार्थ भाव से क्यों नहीं करते  .........? हर मामले में क्या राजनितीक रोटी सेंकना उचित है ...........? लोगो का माना है की उम्र  के साथ साथ विचारों में बड़प्पन भी आता है ,,गंभीरता का समावेश होता है ,,समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना पैदा होती है , जिसमे कही स्वार्थ का समावेश नहीं होता ......? अब आप ही बताइये की .......क्या ऐसी स्वार्थ की राजनीती करना ठीक है ,,,,खैर जो भी हो हमारी तो यही भावना है की पहले पुल बन जाए और बाद में कार्यवाही भी हो जाए ......................


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