आदिवासीयों की आड़ में राजनीति शुरू
लंबे समय के बाद एक बार फिर जिले की राजनीति गरमा गई है। युं तो यहां का इतिहास रहा है कि आदिवासीयों के विकास और उनके संस्कृति की सुरक्षा की आड़ में हमेशा राजनीति होती आई है जो आज भी जारी है पर आज भी उनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है। यहां आपको बताना लाजिमी होगा कि बीते दिनों अतिक्रमण हटाने की आड़ में आम जनता को प्रशासन की दबंगई से दो चार होना पड़ा था। जिसमें जिले के कई गंाव समेत बगीचा,दुर्गापारा,बिमड़ा और आसपास के गावों में आदिवासी बीपीएल परिवारों समेत नगरीय क्षेत्र में भी लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था जिससे कई तो बेघर हो गए तो कइयों के सामने रोजी रोटी की समस्या आ खड़ी हुई। सारे नियम कानून को ताक में रखकर सीमित समय में ही जेसीबी के द्वारा प्रशासनिक भय का वातावरण निर्मित कर जबरिया कार्यवाही की गई जिसमें कोई भी जनप्रतिनिधी सामने नहीं आया। परंतु विधानसभा सत्र के दौरान जशपुर विधायक जगेश्वर राम के सामने यह बाते आई जिसके बाद विधायक ने इस प्रकार की अन्यायपूर्ण कार्यवाही पर रोक लगाने और पीड़ितों को मुआवजा के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और कलेक्टर को भी निर्देशित किया। जिसपर कलेक्टर ने त्वरित कार्यवाही करते हुए स्वयं क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ितों से मिले और उनकी समुचित व्यवस्था की। पर वहीं अब पार्टी के ही वरिष्ठ कार्यकर्ता व पूर्व मंत्री गणेश राम ने जनता के हित में विधायक के धरने को दलालों का षडयंत्र बता दिया । अब लोगों का मानना है कि जूदेव के समर्थन व विधायक के धरने को दरकिनार कर एक बार फिर से पूर्व मंत्री आदिवासीयों की आड़ में अपनी रोटी सेंकने की जोर जुगत में लग गए हैं।
पर सवाल यह है कि अगर प्रशासनिक कार्यवाही सही तरीके से हुई तो फिर जिले के कलेक्टर को क्यों आना पड़ा। पीड़ितों को मुआवजा की राशि क्यों दी गई। बगीचा में लोगों को अतिक्रमण हटाने का नोटिस देकर उसे फिर वापस क्यों ले लिया गया। पूरे जिले में प्रशासनिक फेरबदल क्यों किया गया। विधायक को अपने ही शासन में प्रशासन के खिलाफ धरना में क्यों बैठना पड़ा और अंततः प्रशासनिक आतंक को लेकर जूदेव ने सीएम को पत्र क्यों लिखा। ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब शायद पूर्व मंत्री के पास भी नहीं पर सोची समझी रणनीति के तहत जनजातीय सुरक्षा मंच के कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर दिया गया और विधायक के धरने पर ही कार्यक्रम केंद्रित हो गया। आखिर प्रशासन से कहीं न कहीं चुक जरूर हुई है जिसका खमियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है और अब आलम यह है कि विधायक के भारी जनसमर्थन को देखते हुए पूर्व मंत्री भी इसी का फायदा उठाते हुए अतिक्रमण की कार्यवाही को सही बताकर प्रशासन को अपने साथ मिलाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि लोग प्रशासनिक कार्यवाही से इतना तंग हो जाएं कि टूटकर फिर से उनके साथ जुड़ जाएं और उनकी राजनीति फिर से शुरू हो जाए।
उभरकर सामने आई गुटबाजी
जशपुर जिले की राजनीति में गुटबाजी आम है पर एक समय में कयास लगाए जा रहे थे कि संसदीय सचिव युद्धवीर और गणेश राम भगत के हाथ मिला लेने के बाद पार्टी हित में सभी मिलकर कार्य करेंगे पर इस आमसभा में पूर्वमंत्री भगत ने पूरे भाषण में विधायक के धरने को ही षडयंत्र बता दिया जबकि विधायक ने बताया कि जनता व जूदेव समेत पूरे ग्रामीणों के समर्थन से ही धरना का कार्यक्रम सुनिश्चित किया गया था। अब सवाल यह है कि क्या फिर से पार्टी की गुटबाजी से लोगों को दो चार होना पड़ेगा। जनता के हित में खड़े होने वाले विधायक को पार्टी हित में जनता के साथ प्रशासनिक आतंक बर्दाश्त करना उचित होगा या फिर पूर्व मंत्री के जैसे प्रशासन की जबरिया कार्यवाही को सही बताते हुए अपनी रोटी सेंकने के लिए लोगों को गुमराह किया जाना सही होगा।
आखिर कब तक आम जनता को राजनैतिक पार्टीयों की गुटबाजी का खमियाजा भुगतना पडे़गा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पूर्व मंत्री के बयान के बाद अब जनता के हित में विधायक का अगला कदम क्या होगा।
ये हुई न कुछ् बात
ReplyDelete