Saturday, January 21, 2012

न हमारी पुलिस न हमारा राज़ यहाँ तो सब गुंडाराज

                             

                       चौकिये मत जशपुर जिले के लिए ये कोई नहीं बात नहीं है,वाकई गुंडाराज तो है ही ! कभी जनता को पुलिस से दो चार होना पड़ता है तो कभी प्रशाशन से ......? पर जो भी हो डंडा तो आम जनता को ही खाना है !
ऐसे में जिला प्रशाशन के साथ साथ राज्य  सरकार को भी सोचना होगा की जशपुर जिले में ऐसी स्थिती क्यों निर्मित हो रही है.
                            बात बहुत बड़ी नही है पर हर आदमी का स्वाभिमान होता है कही न कही जब उसके स्वाभिमान  को ठेस पहुचती है तो फिर वह आक्रोशित हो उठता है और आक्रोश जब सडको पर आ जाए तो ""न हमारी पुलिस न हमारा राज़ यहाँ तो सब गुंडाराज""जैसे नारे सुनाई पड़ने लगते है!ऐसा नहीं है की जनता इतनी जागरूक है ही अपने हक़ के लिए वो सडको पर आ जाए अब भी लोगो में संकोच की भावना है पर धन्यवाद् पूर्व मंत्री जी का जिन्होंने जशपुर जिले के लोगो को खड़ा होना सिखा दिया २५ वर्षो के कार्यकाल में जितनी जनजागरूकता रैली नहीं हुई उससे कही ज्यादा इन ३ वर्षो में करा दिया.हो सकता है इसके पीछे कोई स्वार्थ छिपा हो लेकिन जो भी जिले का भला ही होगा ! लोग आने वाले समय के लिए तैयार हो रहे है अपने हक़ की लड़ाई के लिए खड़े होना सिख रहे है.
                            राजनिती से प्रेरित ही कोई रैली या सभा क्यों न हो माध्यम तो जनता और प्रशाशन ही होती है!कभी गाज जनता पर तो कभी प्रशाशन पर पड़ती है लेकिन वो समय कब आयेगा ? जब लोग डंडा नेताओ और शाशन के लिए चलाएंगे . क्या इतनी जागरूकता आयेगी ? राजनीती की कूटरचना में शामिल होने वाली जनता का फायदा तो नेता उठा लेते है पर कभी कभी जब दाव उलटा हो जाता है तो नेताओ को मुह की खानी पड़ती है ! ऐसा ही वाकया बगीचा के एस डी ओ पी के साथ देखने को मिला था जिसमे नेताओ ने एस डी ओ पी को हटाने और निलंबीत करने की मांग को लेकर लोगो को धरने पर बैठाकर चक्का जा म कर दिया और जनबल बढ़ते देख मामले को ठंडा करने का प्रयास भी किया ताकी एस डी ओ पी को उनकी ताकत का पता चल जाए और उनके मुताबिक काम हो सके पर दाव उलटा पड़ गया और जनता ने खुद ही मोर्चा सम्हाल लिया ! क्योकी जनता त्रस्त थी और भुक्त भोगी भी ................?
                           आखीर कब तक राजनीती की दुश्प्रेरना से लोग सड़क पर आते रहेंगे ....? कब लोग जागरूक होंगे .....? आने वाला समय जशपुर जिले के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होने वाला है ......? अभी तो प्रशासन का कहर कुछ भी नहीं पर उन दिनों को अभी से सोच लेना होगा जब पूरा गाँव का गाँव शाशन अधिग्रहित कर लेगी ......? जिले में बड़े बड़े उद्योगों की स्थापना हो जायेगी.......? क्युकी ये भी सच है की जशपुर जिले की लगभग ६० प्रतिशत से भी अधिक भूमी का अनुबंध  राज्या सरकार ने  उद्योगों के साथ कर लिया है .........?
                           शाशन व प्रशाशन को इस और ध्यान देना होगा .....सभी कार्यवाहीयो में मानवीय संवेदनाओं का होना अति आवश्यक है .......कही ऐसा ना हो की लोग इतने आक्रामक हो जाये की उन्हें  हथियार उठाने पर विवश होना पड़े ..........जरुरी है पुलिस के साथ साथ प्रशाशन को भी की जनता की हर बात पर गौर करे ......?एक ऐसा सम्बन्ध बने जो विश्वाश पर टिका हो ........? आगरा जनता को प्रशाशन अपने विश्वाश में ले ले तो निश्चित ही किसी भी बड़ी अप्रिय आशंका को टला जा सकता है  

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