
आमतौर पर यह माना जाता है कि हिंदी भाषा का सबसे अधिक संघर्ष बोलियों और स्थानीय भाषाओं से है। इस भाषायी संघर्ष में राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को सबसे ज्यादा खतरा है। यह विचार उचित प्रतीत नहीं होता है। व्यवहारिक रूप में देखा जाए तो हिंदी का बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ टकराव का छद्म वातावरण तैयार किया जा रहा है। वास्तविकता यह है कि बोलियों और स्थानीय भाषाओं से ही हिंदी बोलचाल की भाषा के रूप में समृद्ध हो रही है। चाहे वह मराठी,भोजपुरी, मैथिल, छत्तीसगढ़ी आदि स्थानीय भाषाएं हों या अन्य बोलियां। इनसे हिंदी ने काफी कुछ ग्रहण किया है। हालांकि इसके बावजूद हिन्दी ज्ञान की भाषा के रूप में काफी पीछे हो चली है। जो हिंदी प्रेमियों के लिए चिंता की बात है। आधुनिक युग इलेक्ट्रॉनिक व संचार साधनों एवं उन्नत तकनीक का है। इन तकनीको को विकसित करने में अंग्रेजी भाषा की ही भूमिका रही है। हिंदी भाषा कभी भी तकनीकी भाषा नहीं बन पाई। जिसकी पृष्ठभूमि में राजनीतिक और आर्थिक हैसियत ही रही।

किसी भी भाषा में समृद्ध शब्दकोश होना ही भाषा के विकास के लिए पर्याप्त नहीं है। जिस तेजी से अंग्रेजी का विकास हुआ है और पूरे विश्व की संपर्क भाषा बनी हुई है, उसका आशय यह बिल्कुल नहीं है कि अंग्रेजी शब्दकोश में अधिक और समृद्ध शब्द हैं। हिंदी के अलावा जर्मन, फ्रेंच आदि विदेशी भाषाओं के शब्दकोश समृद्ध हैं, लेकिन वे पूरी तरह संपर्क भाषा नहीं बन सके हैं। भाषा के विकास और विस्तार के लिए जिस देश में वह भाषा बोली जाती है,उसका बाजार बड़ा और आर्थिक व राजनैतिक हैसियत विश्व को प्रभावित करने वाली होनी चाहिए।
हिंदी को लेकर वर्तमान पीढ़ी की मानसिकता में बदलाव लाना होगा। आज की पढ़ी.लिखी पीढ़ी अपने घरों में क्षेत्रीय बोली या हिंदी में भले ही बात करती हो, लेकिन जब वह घर से बाहर निऽलती है तो उनकी जुबान में अंग्रेजी रहती है। देश में हिंदी के विकास में हिंदी फिल्मों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। हिंदी फिल्मों के कारण कई गैर हिंदी भाषियों ने हिंदी सीखी, लेकिन आधुनिक दौर में युवा पीढ़ी टीवी व अन्य संचार साधनों में अपने नायक-.नायिकाओं को फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता देखकर उनके अनुसार खुद को ढालने की भी कोशिश करती है। अंग्रेजी को अच्छा और हिंदी को गंवारों की भाषा समझने की मानसिकता जब तक नहीं बदलेगी, देश में हिंदी को समृद्ध करना मुष्किल होगा।
विक्रांत पाठक [ लेखक ]
हिन्दी मे ही सुभीता है
ReplyDeleteहिन्दी का अर्चन वन्दन है
भाषा मे यह चन्दन है
सौरभ इसका फैल रहा
घर घर मे अभिनन्दन है
यह सबकी अभिव्यक्ति है
अपने देश की शक्ती है
इस भाषा को देखो तो
प्यार ही प्यार छ्लकाति है
यह ममतामयी लोरी है
भारत मा की छोरी है
इसका बन्धन कहलाता
अखन्डता की डोरी है
यह कवियो की कविता है
रामायन और गीता है
अंग्रेजी मे चकाचौन्ध है
हिन्दी मे ही सुभीता है