Tuesday, May 15, 2012

आदिवासी एक्ट बना पत्रकारों के लिए सिरदर्द

जशपुर - यु तो आदिवासी एक्ट विशेष पिछडी जाति व जनजाती पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए बनाया गया है ..पर जशपुर जिले में पुलिस का अत्याचार कहे  या पत्रकारो की नामर्दानगी इस कदर बढ़ गई है की यहाँ पत्रकारों पर सरे आम आदिवासी एक्ट के  साथ पुलिस एफ आई आर दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्यवाही को अंजाम देने की कोशिश कर रही है ....जी हां मामला है ई  टीवी के संवाददाता  पवन तिवारी का जिसने बीते दिनों कुनकुरी में अपने मकान मालिक से लड़ाई कर ली थी जिसकी शिकायत मकान मालिक ने कुनकुरी थाने में की थी ......लगभग छ माह बीतने के बाद कोई कार्यवाही नही की गई ....क्युकी बात एक पत्रकार की थी ......पर हमारे संवाददाता जब तक पुलिस की चापलूसी करते हैं तब सब ठीक होता है पर जहा बात आती है स्वाभिमान की तो कोई भी हो रगड़ देते है .....
         ऐसा ही कुछ हुआ पवन तिवारी जी के साथ चालित थाना के कार्यक्रम में बच्चो से झाड़ू लगवाते हुए थानेदार का विजुअल बना लिए और खेलने लगे समाचार से ..बस क्या था इधर समाचार चली उधर आदिवासी और हरिजन एक्ट की धाराएं पहले की शिकायत पर लगनी शुरू हो गयी ...मारपीट व गाली गलौज को तो कैसे भी झेल जाते पर ...बात आदिवासियों के हित की है पर हमारा तो अहित हो ही रहा था ...क्युकी सहारे थानेदार ने अपराध पंजीबद्ध कर एस डी ओ पी को सौप दिया था जिसमे जांच कर एस डी ओ पी  वर्षा मेहर ने एस पी को आदिवासी एक्ट की धाराओ की पुष्टि की खबर भेज दी थी ......
          इधर आग में घी डालने का काम सहारा एम् पी सी जी के जशपुर संवाददाता राजेश पाण्डेय  के साथ साथ बाक़ी प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया वालो ने कर दिया हुआ यु की जशपुर जिले के पत्थाल्गाओं थाने में नाबालिग बच्चो को हथकड़ियो में जकड के शारिरीक प्रताड़ना का मामला आ गया बस क्या था खबर झमाझम चलने लगी इधर एस पी साहब को मजबूरन उस थानेदार को लाईन अटैच करना पडा ...शायद एस पी साहब को नही पता था की उस पत्थाल्गाओं थाणे के टी आई नरेंद्रा शर्मा की पहुच पोलिस हेड क्वार्टर व मंत्रालय तक है ..अटैच तो कर दिया अब एस पी साहब को भी ऊपर तक जवाब देना पडा ....कही ना कही मीड़िया वालो की मर्दानगी का असर दिख रहा था पर अन्दर ही अन्दर पवन तिवारी जी के खिलाफ भी रणनीती तैयार की जा रही थी ....खैर अपराध तो दर्ज हो ही चुका है वो भी आदिवासी एक्ट के तहत ! जमानत भी नही मिलेगी ...?
       सभी पत्रकारों  को लेकर एक टीम एस पी साहब से मिलने भी गयी पर क्या मिला ....आश्वाशन का झुनझुना .....अब तो गिरफ्तारी बची है बस .....दिख जायेगी पत्रकारों की मर्दानगी ....
इतने में भी हम तो पत्रकार जो ठहरे चुप नही बैठने वाले थे सभी ने मिलकर कुछ निष्कर्ष निकाला तो पता चला की पत्रकार की गिरफ्तारी और कोर्ट  में चालान प्रस्तुत करने के लिए  आई जी के परमिसन की जरुरत होती है ....वो सब तो इन्होने नही किया था .....अब फिर से एक बार एस पी साहब के पास जाना होगा ...सबकी सलाह के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा ....
        एक तो जशपुर पूर्णतः आदिवासी बाहुल इलाका है यहाँ काम करना थोड़ा कठीन है क्युकी छोटी जगह में यहाँ की बात वहा होते देर नही लगती उस पर किसी को कुछ कह दिया तो आदिवासी हरिजन एक्ट .....आम बात है पर क्या इसका दुरूपयोग सही है ..यहाँ के नेता और दिग्गज भी इसी के सहारे दबाव बनाते है पर हमको तो हर हाल में पत्रकारिता करनी ही है ......

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