Thursday, May 10, 2012

बेडियो में बचपन

बेरहम पुलिस 


पैरो में बेड़ियाँ डालकर बैठाए गए बच्चे 
 जशपुर - देश भक्ति और जन सेवा और सुधार के लिए सदैव  तत्पर रहने का दावा करने वाली पुलिस का सबसे बेरहम चेहरा सामने आया है ,बेरहमी इस कदर कि छः सात साल के बच्चों के पैरों में बेड़ियाँ लगा दी गईं और बेड़ियों में जकड़कर न उन्हें कैद रखा गया है बल्कि थाने के थानेदार के उन बच्चों कि बेरहमी से पिटाई भी कि जा रही है ..मासूमो पर बर्दी का रूतवा झाड रहे थानेदार का कहना है कि मुख्य धारा धारा में जोड़ने लिए ऐसा करना जरुरी है .मामला जशपुर जिले के पत्थल गाँव थाने का है ..........


बच्चे को गंदी गाली देकर बाल खीचते हुए थानेदार नरेंद्र शर्मा जी
                                               नीले रंग के पोशाक में इस मासूम का बेरहमी से बाल खींचने वाले इन साहब को गौर से देखिये ये साहब पत्थलगांव थाने के थानेदार हैं जिन्हें बर्दी का रितावा झाड़ने का शायद आज अच्छा मौका मिला है ,अभी तो आप बाल कि खिंचाई भर देख रहे हैं अभी तो कुछ और भी देखना बाकी है ,देखिये इन तीनो मासूमो को कैसे बेंडीयों में जकड कर रखा गया है एक बंदी और आदतन अपराधी कि तरह इन्हें इस थाने में दो दिनों से यूँ ही रखा गया है इस बात कि जानकारी जब हमें मिली अकुर हम जब इस मामले कि तश्दिक करने हाने गएर तो ये तीनो मासूम बच्चे हमें इसी अवस्था में मिले ,हमारे कैमरे में जब इन मासूमो कि तस्वीर कैद होने लगी और जब हमारे कैमरे कि हरकतों पर थाने के पोलिउस वाले कि नजर पड़ी तो उसने इन बच्चों के पैरों में लगी बेंडीयान  शुरू कर दी ,आप देख   सकते हैं पूरी तस्वीर ,साफ साफ देखा जा सकता है कि पुलिस का ये आदमी किस तरह इनके पैरों से बेंडी यान खोल रहा है ,बच्चों से पुलिस का खफ हटाने के लिए एक और सरकार बाल मित्र जैसी योजनायें चलाती हैं तो दूसरी और मासूमो पर इस कदर पुलिस का कहर टूटना पुलिस के तमाम दावों और कोसिसों कि कलाई खोलती है ,बहरहाल इस पुरे मामले में जब हमने पत्थलगांव थाने के थानेदार नरेन्द्र शर्मा से बात कि तो उनका कहना था कि ये बच्चे चोर प्रवृति के हैं ,चोरी करना ही इनका काम है और इन्हें मुख्य धारा में वापस लाने के लिए कड़ाई जरूरी है ......
मीडिया की दखल के बाद बेडियो से मुक्त बच्चे 
                                                          
उन्हें थाना क्यों लाया गया ,इनका दोष क्या था ये जानने लिए जब हमने इन बच्चों से बात कि तो बच्चों ने हांलाकि ये कबूल किया कि वे पहले चोरी का काम करते थे लेकिन आज उन्हें बेकसूर यहाँ लाया गया है ,उन्होंने हमें ये भी बताया की वे लावारिस हैं किसी के पिता नहीं है ओ किसी के पिता ने दूसरी शादी करके घर बसा लिया तो कोई खाना खाने के लिए चोरी किया करते हैं ....
                    
बेडियो में बचपन 
                                                         हों सकता है की इन मासूमो के अक्न्दर अपराध का बीज पनप रहा हों और ये अपराध की दुनिया में कदम भी रक्ल्ह चुके हों लेकिन आखी इन्हें मुख्य धारा से जोड़ने की जिम्मेदारी किसकी है और क्या इन्हें सुधारने का सबसे आखिरी तरिका यही है जिस तरीके को पत्थल गाँव पोलिस अपना रही है ,सवाल तो ऐसे ऐसे कई हैं जिसका जवाब पोलिस को देना होगा ..................................



1 comment:

  1. बच्चो से यदि अपराध हो जाए तो उनके लिए बाल सुधार गृह होता है और जहा तक बात है बेडियो में डालकर थाणे में रखने की तो यह तो मानवीय अधिकारों का भी हनन है ...उसमे बच्चे क्या बडो के साथ यदी पुलिस ऐसा करती है तो यह भी बिलकुल गलत है ....मुझे ऐसा लगता है की पुलिस अपनी मानवीय संवेदनाओं को खोती जा रही है ..जिले में संजीव शुक्ला एस पी ने चालित थाना व अन्य सहायताओ से जनता के बीच पुलिस की अच्छी छवी बनाने की कोशिश की थी पर उनके जाने के बाद शायद यह संभव नही है ...बीते दिनों कुनकुरी थाणे में भी ऐसा ही मामला सामने आया था .....नये साहब को ध्यान देना होगा .......................

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