आपने कई वफादार देखे होंगे जो इन्सान से दोस्ती भी करते है और जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षित भी रखते हैं। यहां हम आपको दिखाने जा रहे हैं सांप से एक परिवार की दोस्ती। जी हां यह सांप इस परिवार का दोस्त भी है और समय पड़ने पर उनकी रक्षा भी करता है। लोग भले ही उससे डरते हों पर उस परिवार के लोग उसके साथ खाने पीने से लेकर खेलने व पढ़ने का काम भी करते हैं। जशपुर जिले में आज भी लोग प्राचीन मान्यता के अनुसार जानवरों को पालते है और उनसे एक घर के सदस्य की तरह व्यवहार करते हैं,उनसे दोस्ती भी करते हैं। जिससे जरूरत पड़ने पर वह उस परिवार की रक्षा व सहायता भी करता है। यहां कई ऐसे जाति हैं जो सांपों को पालते है और अपने घर में रखते हैं। इनकी मान्यता होती है कि सांप उनकी रक्षा करता है और सहायता भी। इसलिए वे सांप को पालते हैं। छ.ग. और उड़ीसा सीमा पर बसे घुमरा गांव में जहां असवर राम अपने परिवार के साथ पूर्वजों के समय से ही सांप को पालकर अपने घर का सदस्य बनाया हुआ है। यह सांप इनके घर के अन्य सदस्यों के साथ ही रहता है जो साथ में खाना भी खाता है,बच्चों के साथ खेलता और पढ़ता भी है। इसके बावजूद यह सांप इनको कोई नुकसान नहीं पंहुचाता है बल्कि जरूरत पड़ने पर इनकी रक्षा भी करता है। वैसे तो यह इलाका नागलोक से के नाम से जाना जाता है जहां लोग सर्पविद्या में भी माहिर होते है जिसके सहारे सांपों को पकड़ना,विष उतारना,जैसे काम इनके बांए हाथ का खेल होता है परंतु यह परिवार पुराने समय से ही सांप का शौकीन है और इनको भी सर्पविद्या में महारत हासिल है। जब भी किसी सांप को ये पकड़ते हैं तो उसकी विष ग्रंथी को निकाल देते हैं जिससे सांप दूध व अन्य खाद्यान्न ग्रहण करने लगता हैं। इसके जानकार बताते हैं कि सर्प के विषग्रंथी का सीधा संबंध उसकी आयु से होता है जिसे निकाल लेने के बाद सांप की आयु कम हो जाती है।
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