Thursday, June 23, 2011

कर्म की भावना का महत्व


गहना कर्मणो गति

भीतरी दुनियाँ में गुप्‍त-चित्र या चित्रगुप्‍त पुलिस और अदालत दोनों महकमों का काम स्‍वयं ही करता है। यदि पुलिस झूठा सबूत दे दे तो अदालत का फैसला भी अनुचित हो सकता हैपरंतु भीतरी दुनियाँ में ऐसी गड़बड़ी की संभावना नहीं। अंत:करण सब कुछ जानता है कि यह कर्म किस विचार से,किस इच्‍छा सेकिस परिस्थिति मेंक्‍यों कर किया गया था। वहाँ बाहरी मन को सफाई या बयान देने की जरूरत नहीं पड़ती क्‍योंकि गुप्‍त मन उस बात के संबंध में स्‍वयं ही पूरी-पूरी जानकारी रखता है। हम जिस इच्‍छा सेजिस भावना से जो काम करते हैंउस इच्‍छा या भावना से ही पाप-पुण्‍य का नाप होता है। भौतिक वस्‍तुओं की नाप-तोल बाहरी दुनियाँ में होती है। एक गरीब आदमी दो पैसा दान करता है और एक धनी आदमी दस हजार रूपया दान करता हैबाहरी दुनियाँ तो पुण्‍य की तौल रुपए-पैसों की गिनती के अनुसार करेगी। दो पैसा दान करने वाले की ओर कोई आँख उठाकर भी नहीं देखेगापर दस हजार रूपया देने वाले की प्रशंसा चारों ओर फैल जाएगी। भीतरी दुनियाँ में यह नाप-तोल नहीं चलती। अनाज के दाने अँगोछे में बाँधकर गाँव के बनिए की दुकान पर चले जाएँतो वह बदले में गुड़ देगापर उसी अनाज को इंग्‍लैंड की राजधानी लंदन में जाकर किसी दुकानदार को दिया जाएतो वह कहेगा-महाशय इस शहर में अनाज के बदले सौदा नहीं मिलतायहां तो पौंडशिलिंगपेंस का सिक्‍का चलता है। ठीक उसी प्रकार बाहरी दुनियाँ में रूपयों की गिनती सेकाम के बाहरी फैलाव सेकथा-वार्ता सेतीर्थयात्रा आदि भौतिक चीजों से यश खरीदा जाता हैपर चित्रगुप्‍त देवता के देश में यह सिक्‍का नहीं चलतावहाँ तो इच्‍छा और भावना की नाप-तौल है। उसी के मुताबिक पाप-पुण्‍य का जमा-खर्च किया जाता है।
भगवान कृष्‍ण न अर्जुन को उकसा कर लाखों आ‍दमियों को महाभारत के युद्ध में मरवा डाला। लाश से भूमि पट गईखून की नदियाँ बह गईफिर भी अर्जुन को कुछ पाप न लगाक्‍योंकि हाड़-माँस से बने हुए कितने खिलौने टूट-फूट गएइसका लेखा चित्रगुप्‍त के दरबार में नहीं रखा गया। भला कोई राजा यह हिसाब रखता है कि मेरे भंडार में से कितने चावल फैल गए। पाँच तत्‍व से बनी हुई नाशवान् चीजों की कोई पूछ आत्‍मा के दरबार में नहीं है। अर्जुन का उद्देश्‍य पवित्र थावह पाप को नष्‍ट करके धर्म की स्‍थापना करना चाहता था। बस वही इच्‍छा खुफिया रजिस्‍टर में दर्ज हो गईआदमियों के मारे जाने की संख्‍या का कोई हिसाब नहीं लिखा गया। दुनियाँ में करोड़पति की बड़ी प्रतिष्‍ठा हैपर यदि उसका दिल छोटा हैतो चित्रगुप्‍त के दरबार में भिखमंगा शुमार किया जाएगा। दुनियाँ का भिखमंगा यदि दिल का धनी हैतो उसे हजार बादशाहों का बादशाह गिना जाएगा। इस प्रकार मनुष्‍य जो भी काम कर रहा है,वह किस नीयत से कर रहा हैवह नीयतभलाई या बुराई जिस दर्जे में जाती होगीउसी में दर्ज की जाएगी। सद्-भाव से फाँसी लगाने वाला जल्‍लाद भी पुण्‍यात्‍मा गिना जा सकता है और एक धर्मध्‍वजी तिलकधारी पंडित भी गुप्‍त रूप से दुराचार करने पर पापी माना जा सकता है। बाहरी आडंबर का कुछ मूल्‍य नहीं हैकीमत भीतरी चीज की है। बाहर से कोई काम भला या बुरा दिखाई दे,तो उससे कुछ बनता-बिगड़ता नहीं। असली तत्‍व तो उस इच्‍छा और भावना में हैजिससे प्रेरित होकर वह काम किया गया है। पाप-पुण्‍य की जड़ कार्य और प्रदर्शन में नहींवरन् निश्चित रूप से इच्‍छा और भावना में ही है।  

                                    Writer : Pt Shriram Sharma Acharya

Monday, June 20, 2011

!! " क्या लड़की से वंश चलेगा -पिता का नाम रोशन करेगी ? !!


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र्णाटक राज्य के छोटे से गाँव उडुपी में एक नैष्ठिक ब्राह्मण निर्मल के घर एकमात्र संतान कन्या हुई. सभी उस ब्राह्मण निर्मल पर दबाव डालने लगे कि दूसरा विवाह कर लें, उससे पुत्र प्राप्त हो जाये, वंश चले. ब्राह्मण श्री निर्मल ने दृढ़ता के साथ इसे अस्वीकार कर दिया. जन्मी कन्या का नाम था-अक्का महादेवी. उन दिनों कन्याओं को शास्त्रज्ञान के अयोग्य माना जाने लगा था. श्री निर्मल ने अक्का महादेवी को सभी शास्त्रों का अध्ययन कराया, ज्ञान दिया एवं आध्यात्मिक दिशा दी. रुढ़िवादी लोग ब्राह्मण निर्मल का उपहास करते, कहते-" क्या लड़की से वंश चलेगा ?" शिक्षा और वातावरण के प्रभाव से अक्का महादेवी का व्यक्तित्व विकसित होता गया. वे एक महान तपस्विनी, आदर्शवादी विदुषी के रूप में प्रसिद्द हुई और पिता का नाम रोशन कर दिया. आज भी लोग ब्राह्मण निर्मल का नाम अमर अक्का महादेवी के पिता के रूप में जानते हैं... 

!! यह हम पर निर्भर है कि सामने उपस्थित स्थिति को कैसे सँभालते हैं !!


एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी के अमेरिका प्रवास के दौरान एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई. जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से पूछा कि आप ने ऐसा प्रश्न क्यूँ किया? उस महिला का उत्तर था कि वह  स्वामी जी की बुद्धि से बहुत मोहित है. और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे की कामना है. इसीलिए उसने स्वामी से यह प्रश्न किया कि क्या वे उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं? उन्होंने महिला से कहा कि चूँकि वे सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा- “प्रिय महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ. शादी करना और इस दुनियाँ में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वह बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा. इसके अलावा ऐसा ह़ी हो इसकी गारंटी भी नहीं है. इसके बजाय, आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक प्रामाणिक सुझाव दे सकता हूँ. आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें . इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी. और मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी.“ यह सुनकर वह महिला अवाक् रह गयी… ठीक ऐसा ह़ी एक पौराणिक प्रसंग है जब अर्जुन के रूप पर मोहित होकर स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी ने विवाह का प्रस्ताव रखा था. अर्जुन ने भी उर्वशी से यही कहा था . हम कई बार ऐसे अप्रत्याशित प्रश्न का सामना कर सकते हैं, यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस सामने उपस्थित स्थिति को कैसे सँभालते हैं और हमारा जवाब कितना सरल होता है...

Saturday, June 18, 2011

रामदेवजी से ही क्यों डरती है कांग्रेस ?



विदेशी लोगों का समर्थन करने वाली मिडिया क्यों पड़ी है स्वामी जी के पीछे
दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है स्वामी रामदेव जी से ही कांग्रेस क्यों परेशान है और डरती है, जानिए कारण-----------------------------------------------------------------------?
1-स्वामी ramdev जी के तर्क के आगे कांग्रेस के तथाकथित प्रवक्ता 5 मिनट भी नहीं टिकेंगे.
2-
स्वामी जी के पास कांग्रेस का वास्तविक इतिहास का साक्ष्य है और कांग्रेस के कारनामो का काला चिटठा है…………………………………………………………………………?
3-
अभी तो बात आएगी मंच पर बहस की, जिसकी की आगे के किसी भी चुनाव में जोर 
देकर मांग की जायेगी, तब ये अज्ञानी प्रवक्ता मंच पर जनता को क्या जवाब देंगे, सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है……………………………………………………?.
4-
मंच पर ये बहस नहीं होगी की क्या विकास किया, बहस होगी की राहुल, सोनिया,  चिदंबरम,  पवार, मनमोहन, विलासराव देशमुख, अहमद पटेल, प्रणव मुखर्जी जैसे लोंगो के भी काले धन के खाते है क्या………………………………………………………………………
5-
काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते है

                                  फिरआया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गया, भला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसीऔर विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है  जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहींफिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में 4 रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है………………………………………………………………………………………………..?
6-
इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्यों खोला गया
है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है.
7-
भारतके किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में
तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गयामिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया…………………………………………………………………………………….?.
8-
सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है,
9-
फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देसों में जमा है……………………………………………………….?
10-
सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े ?