- विवादों के घेरे में नगर सौदर्यीकरण अभियान
- नगर पंचायत की औपचारिक सहमती के बिना हो रहे हैं कार्य
- व्यवस्थापन से वंचित प्रभावितों में नाराजगी
बगीचा - अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान तमाम विवादों में घिरने के बाद बगीचा प्रषासन इन दिनों नगर सौंदर्यीकरण के कार्य को लेकर एक बार पुनः विवादों में घिरता नजर आ रहा है। अतिक्रमण से मुक्त कराए गए शासकीय जमीनों पर कराए जा रहे सौंदर्यीकरण के इन कार्यो में उठ रहीं विवादों का प्रमुख करण इन कार्यो के लिए नगर पंचायत की सहमति सहित अन्य औपचारिकताओं की प्रषासन द्वारा अनदेखी किया जाना है।
विगत दो-तीन माह के दौरान अतिक्रमण विरोधी मुहिम चला कर स्थानीय प्रषासन ने नगर के नजलू और घास जमीन को मुक्त कराया था। मुक्त कराए गए जमीन को पुनः अतिक्रमण से बचाने के लिए बगीचा के प्रषासनिक अधिकारियों ने सौंदर्यीकरण का कार्य प्रारंभ किया है। इस कार्य के तहत नगर के प्रमुख चौक-चौराहों सहित शासकीय कार्यालयों के सामने स्थानीय संस्कृति को दर्षाती विभिन्न मूर्तियां,गॉर्डन और फौव्वारा लगाने का कार्य इन दिनों जोरो पर है। नगर सौंदर्यीकरण के लिए प्रारंभ किए गए इन कार्यो के लिए अधिकारियों ने शासकीय औपचारिकताओं को भी पूरा करना उचित नहीं समझा।
अंजान नगर पंचायत -
नगर में जोर शोर से चल रहे नगर सौंदर्यीकरण कार्य से नगर पंचायत पूरी तरह से अंजान है। इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष प्रभात सिडाम से चर्चा करने पर उन्होनें बताया कि नगर सौंदर्यीकरण से संबंधित किसी कार्य का प्रस्ताव नगर पंचायत द्वारा पारित नहीं किया गया है और ना ही औपचारिक स्वीकृति प्रदान की गई है। उक्त कार्य पूरी तरह से स्थानीय प्रषासन द्वारा कराया है। इन कार्यो के लिए राषि कहां से आ रही है,यह संबंधित अधिकारी ही बता सकते हैं। इन निर्माण कार्यो के लिए व्यय की गई राषि स्वयं मे ंएक जांच का विषय हो सकती है।
नगरवासियों ने खोला मोर्चा -
अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान कलेक्टर अंकीत आनंद ने जिलेवासियों और जनप्रतिनीधियों को प्रषासनिक कार्यवाही से किसी को भी बेरोजगार ना होने देने का आष्वासन दिया था। जिले के मुखिया का यह आष्वासन भी बगीचा में लागू होती नहीं दिखाई दे रही है। अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान प्रषासन ने बस स्टेण्ड सहित नगर के अन्य स्थानों से लगभ सौ ठेले,गुमटियां,होटल आदि को हटाया था। इस दौरान अधिकारियों ने प्रभावितों को व्यवस्थापन का अष्वासन दिया था। लेकिन कलेक्टर के आष्वासन और शासन की नीति के उल्ट स्थानीय प्रषासन ने प्रभावितों को दुकान मुहैया कराने के बजाय सौंदर्यीकरण कराना ज्यादा उचित समझा। प्रषासन की इस अदूरदर्षीपूर्ण कार्यवाही से प्रभावितों में खासी नाराजगी देखी जा रही है। प्रभावितों ने प्रषासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए वायदे के मुताबिक प्रषासन द्वारा व्यावस्थापन ना किए जाने पर आमरण अनषन सहित उग्र आंदोलन की चेतवानी दी है।
प्रषासन की प्राथमिकता सवालों के घेरे में -
पेय जल और स्ट्रीट लाईट जैसी बुनियादी सुविधा से महरूम बगीचा में प्रषासन द्वारा नगर के सौंदर्याीकरण में पूरी ताकत झोंक दिए जाने से,अधिकारियों की प्राथमिकताओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं। गर्मी के दस्तक के साथ ही नगर के जल स्त्रोत दम तोड़ने लगे हैं। पेय जल और निस्तारी जल के लिए हाहाकार मचने लगा है। नगर की गलियां अभी भी अंधेरे में डूबी पड़ी है। इन अति आवष्यक कार्यो की उपेक्षा कर नगर सौंदर्यीकरण को प्राथमिकता दिए जाने से स्थानीय प्रषासन के कार्यो पर विवादों का साया मंडराने लगा है।
नगर पंचायत पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ -
सौदर्यीकरण के नाम पर नगर में अनावष्यक रूप से स्ट्रीट लाईट और फौव्वारें अधिकारियों द्वारा लगवाया गया है। इन स्ट्रीट लाईट और फौव्वारों को भारी भरकम बिजली बिल आर्थिक तंगी की मार झेल रहे नगर पंचायत पर भारी पड़ने वाला है। जानकारी के मुताबिक हाल ही में नगर पंचायत ने किसी तरह लगभग 4 लाख रूप्ये विद्युत विभाग को अदा कर नगर को अंधेरे में डूबने से बचाया है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह कथित नगर सौंदर्यीकरण नगरवासियों को कितना भारी पड़ने वाला है,इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है।
नहीं बना शॉपिंग कॉम्प्लेक्स -
जनपद पंचायत कार्यालय के सामने अतिक्रमण से मुक्त कराई गई जमीन पर नगर पंचायत ने शॉपिंग काम्प्लेक्स निर्माण कराने का प्रस्ताव लगभग छः माह पूर्व पारित किया था। लेकिन सौंदर्याीकरण की जल्दबाजी में प्रषासन ने नगर पंचायत के प्रस्ताव को दरकिनार करते हुए सौंदर्यीकरण का कार्य करा दिया है। प्रषासन के इस कदम से एक ओर नगर के बेरोजगार परेषान हैं,वहीं नगर पंचायत के अस्तित्व और उसके औचित्य पर भी प्रष्न चिन्ह लग रहा है।
